Himachal Power Board privatization protest: चंडीगढ़ बिजली बोर्ड के निजीकरण के खिलाफ चल रहे संघर्ष को हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड के कर्मचारियों का समर्थन मिला है। हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड एम्प्लाइज एंड इंजीनियर जॉइंट फ्रंट ने NCCOEEE के आवाहन पर शिमला में एक घंटे तक काम का बहिष्कार करते हुए हड़ताल की। जॉइंट फ्रंट के सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने बताया कि चंडीगढ़ बिजली विभाग को निजी हाथों में सौंपने से पड़ोसी राज्यों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र भी कॉरपोरेट कंपनियों के निशाने पर आ जाएंगे, जिससे स्थानीय उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
वर्मा ने कहा कि हिमाचल में सरकार बिजली बोर्ड को तीन हिस्सों में बांटने की योजना बना रही है, जो ग्रामीण क्षेत्रों के उपभोक्ताओं पर नकारात्मक असर डालेगी। उन्होंने यह भी बताया कि हिमाचल प्रदेश के बिजली कर्मचारी और अभियंता, राष्ट्रीय स्तर पर NCCOEEE के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।
बिजली बोर्ड कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर आरोप लगाया कि वे बिजली विभाग में पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लागू नहीं करना चाहते, जिससे हजारों कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों में इस मुद्दे को लेकर गहरा रोष है और विंटर सीजन के बाद जॉइंट फ्रंट बड़ा आंदोलन करेगा।
साथ ही, बिजली बोर्ड से निकाले गए आउटसोर्स चालकों और इंजीनियर के पदों को सरकार द्वारा बहाल न करने पर भी कर्मचारियों ने नाराजगी जताई। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार का यह रवैया न केवल उनके भविष्य को प्रभावित कर रहा है, बल्कि बिजली विभाग की कार्यक्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।